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Top 3 short moral stories in hindi
Friends & Kids, here we share the short moral Hindi Reading stories for kids with motivational massages, which is the best for learning the moral of our life.
Story No.1 : असफ़लता – खट्टे अंगूर

एक बार एक लोमड़ी जिसने, काफी समय से कुछ भी खाना नहीं खाया था, खाने की खोज के लिए जंगल में इधर-उधर भटक रही थी। काफ़ी दिनों से भूखी रहने के कारन, वह बहुत दुर्बल और थक गयी थी और उसे भोजन की बहुत आवशक्यता थी। वन में काफी भटकने के बावजूत, उसे खाने के लिए कुछ भी नही मिला।
खाने की ख़ोज में वह काफी दूर निकल गयी थी, फिर भी वह आगे चलने लगी। तब उसकी नज़र अचानक बेल पर लटके हुए अंगूर के गुच्छे पर गयी। अंगूर के गुच्छे को देखते ही वह प्रशन्न हो उठी और उसके मुंह में पानी आने लगा। वह अंगूर के गुच्छों को देखते ही सोचने लगी कि, अब इस अंगूर को मेरे अलावा कोई ओर नहीं ले सकता।
वह तेजी से दौड़ते हुए अंगूर की बेल के पास पहुंची और अंगूर के गुच्छों को लेने के लिए उसने छलांग लगाई। पर वह अंगूर गुच्छों तक पहुच न सकी, बहुत देर तक वह कोशिश करती रही, मगर अंगूर का एक गुच्छा तो क्या, एक अंगूर का दाना तक ना मिल सका।
उसने काफी प्रयास किये, काफ़ी बार अलग अलग तरीके से कूदी , मगर वह कामयाब नहीं हुई ।
अंत में काफ़ी थक-ह़ार के वह अपने मन में बडबडाने लगी कि, यह अंगूर तो जरुर खट्टे होंगे। इन्हें कौन खाएगा? इसे कोई खा ही नहीं पायेगा ।
इतना सोचते और बडबडाते लोमड़ी वहां से निकल गई।
Moral of Story : जब भी कोई कार्य करे तब उसकी असफ़लता के कारन , उसे खट्टे अंगूर या व्यर्थ समझकर छोड़ नहीं देना चाहिए हैं, प्रयत्न करने वाले की कभी हार नहीं होती है।
Story No.2 : बगुला और केकड़ा

जंगल में एक पेड़ के खोल में बहुत सारे बगुले रहते थे। यह बगुले इस पेड़ पर काफ़ी समय से रहेते थे और वे वहां बहुत काफ़ी खुश भी थे । पर एक दिन, ऐसा भी आया, जब इस पेड़ के नीचे सांप ने अपना बिल बनाया लिया ।
सांप के बिल बनाने के बाद, वह बगुले में खुशी वाले दिनों के बिच एक परेशानी उत्तपन हो गयी और बहुत अधिक परेशान रहने लगे, क्योंकि सांप , छोटे छोटे बगुलों को अपना शिकार बनाने लगा था ।
इस सांप के आने के कारण बगुले काफ़ी परेशान हो गए थे ,उसी वक्त एक बगुला एक नदी के किनारे दुखी होकर बैठा था तब, उसको भारी दुखी देख, वहां पर एक केकड़ा आया और उससे कहने लगा,” बगुले भाई , क्या हुआ, बड़े उदासिन दिख रहे हो? क्या बात हुई है, जरा मुझे तो बताओ? शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकु।”
ओर उस बगुले ने केकड़े को अपनी सारी परेशानी की वजह बताई , जिसको सुनकर केकड़ा मनही मन में अत्यंत खुश हुआ, क्योंकि बगुले और केकड़े बैरी होते है , परंतु केकड़ा खुशी होते होते मन ही मे सोचने लगा कि, ऐसा क्या करू, जिससे सांप के साथ साथ यह सभी बगुले भी ख़तम हो जाए।
आखिर में उसके मन में एक उपाय सूझा और उसे सार्थक करने के लिए, उसने बगुले से कहा कि तुम एक काम करो, कुछ मांस के टुकड़े नेवले के बिल पास में डाल दो और कुछ कुछ मांस के टुकड़े नेवले के बिल से लेकर सांप के बिल तक बिखेर दो। जब नेवला मांस के टुकड़ों का पीछा करते-करते सांप के बिल तक आ पहुंचेगा और साप को मार देगा।
बगुला, इस केकड़े की बातों में आ गया और उसने अपने अन्य बगुलों के साथ मिलकर एस योजना को अंजाम दिया ,ओर नेवला इस मांस के टुकड़ों का पीछा करते-करते सांप के बिल में आ पहुंचा और उसने सांप को मारकर उसे खा गया ।
अब हुआ यह की , सांप को खाने के बाद नेवले की दृष्टि, पेड़ पर बैठे बगुलों पर भी पड़ गई और उसने पेड़ पर चढ़ कर उन्हें भी वहीं मार डाला और एस तरह , केकड़ा अपनी योजना में कामयाब रहा ।
Moral of Story : अपनी समस्या का निवारण ख़ुद ही निकालना चाहिए , वरना इसका फ़ायदा दुश्मन ले सकता है ।
Story No. 3 : असली खजाना

एक छोटे से गांव में एक बंसीलाल नाम का आदमी रहेता था, वह मजदूरी का काम करता था, उसके परिवार में उसकी पत्नी और तिन लड़के थे जो एक साथ में ही रहते थे । बंसीलाल छोटे से शहर जाके मजदूरी करके अपने परिवार को चलाता था।
लेकिन उसके तीनों लड़के आलसी और निक्कमे थे। जो गांव में इधर उधर घूम के आवारागर्दी करते रहते थे। एक दिन बंसीलाल ने अपनी पत्नी से कहा की “अभी तो मै मजदूरी का काम करके परिवार को निभा रहा हु । लेकिन मेरे जाने के बाद इन लड़को का क्या होगा, इन्होने तो कभी कोई मेहनत या मजदूरी भी नहीं की है ।“
बंसीलाल की पत्नी ने कहा की “आप धैर्य रखिये , धीरे धीरे करके ये भी काम करने लगेंगे।“ पर समय बीतता गया और बंसीलाल के लड़के कोई काम नहीं करते थे। एक बार बंसीलाल काफ़ी बीमार पड़ गया। वह काफी दिनों तक बीमार ही रहा।
उसने अपनी पत्नी को कहा की वह तीनों लड़को को बुलाकर लाये। उसकी पत्नी तीनों लड़को को बुलाकर लायी। बंसीलाल ने कहा “लगता है की अब मै ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रहूँगा।“ बंसीलाल को चिंता थी की उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा ?।
इसलिए बंसीलाल ने अपने बेटों से कहा “ बेटों, मैने अपने जीवन में जो भी कुछ कमाया है, उसमे से खेत लिया और एक पुराना खजाना अपने खेत में निचे अन्दर दबा रखा है, मेरे बाद तुम उसमे से वह खजाना निकालकर आपस में बाँट लेना।“ यह बात सुनकर तीनों लड़के अत्यंत खुश हो गए।
कुछ समय बाद बंसीलाल की मृत्यु हो जाती है । बंसीलाल की मृत्यु के कुछ दिनों बाद उस के लड़के खेत में दबा खजाना निकालने गए। उन्होंने सुबह से लेकर शाम तक सारा खेत खोद दिया। लेकिन उनको कोई भी खजाना नज़र नहीं मिला।
खाजाना न मिलने से लड़के काफी निराश हुए, सोचने लगे की अब क्या करे?। फिर सोचा की पूरा खेत तो खोद दिया तो, क्यों ना इसमें फ़सल उगाई जाये। उन तीनो लड़को ने उस खेत में फ़सल उगाई और उसे बेचकर लड़कों को अच्छा मुनाफा हुआ।
जिसे लेकर वह अपनी माँ के पास गए । माँने तब कहा की “तुम्हारी मेहनत ही तुमारा असली खजाना है, जो तुम्हारे पिताजी तुमको समझाना चाहते थे”।
Moral of Story : अगर हमें जिंदगी में उचाईयों को छूना है तो, आलश्य छोड़ के, बहोत सारी मेहनत करनी चाहिए।
जाते जाते ….
यह कहानियां मुख्य रूप से बालकों के लिए और माता पिता के लिए लिखी गई है, जिससे बालकों में नैतिकता और अच्छे चारित्रिक का विकास हो सके । आशा है, यह कहानियां आपको पसंद आई होगी ,अपने विचार को आप हमारे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखे ।
धन्यवाद ।
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मुझे हिंदी कहानियाँ बहुत पसंद हैं जो हमें बहोत कुछ सिखाती है